छत्तीसगढ़. सामाजिक कार्यकर्ता संजीत बर्मन ने छत्तीसगढ़ राज्य सरकार और उपमुख्यमंत्री अरुण साव पर सवाल उठाते हुए कहा कि बलौदाबाजार कांड के मामले में सतनामी समाज के लिए पुलिस को अपना काम करने की अनुमति दी गई, जबकि कबीरधाम के लोहारीडीह कांड में पुलिस कार्रवाई के बाद साहू समाज के लिए त्वरित एसआईटी गठित कर विशेष लाभ पहुंचाया गया। उन्होंने इसे राज्य सरकार का दोहरा चरित्र करार देते हुए कहा कि ऐसा आचरण लोकतंत्र का उपहास करता है।


संजीत बर्मन आगे लिखते हैं कि “भाजपा सरकार में न्यायिक चरित्र है तो वह बलौदाबाजार जिला कलेक्टर एवं एसपी कार्यालय में तोड़फोड़ आगजनी करने वाले लोगों के फोटो वीडियो CCTV कैमरे फुटेज की माध्यम से चिन्हांकित करते हुए जेल में बंद लोगों में से दोषी और निर्दोष में अंतर करें। जैसे लोहारीडीह कांड में एसआईटी गठित कर चिन्हांकित की गई थी। प्रशासन द्वारा भी आंदोलनों की विडियोग्राफी करवाई जाती है। दशहरा मैदान से लेकर कलेक्टर परिसर तक सैकड़ों सीसीटीवी कैमरे लगे रहे होंगे। लेकिन जिनके फोटो वीडियो CCTV कैमरे में फुटेज नहीं है उन्हें जेल से तत्काल रिहाई के मार्ग प्रशस्त किया जाना चाहिए। उपरोक्त प्रक्रिया लोहारीडीह कांड की तरह एसआईटी गठित कर होनी चाहिए।आंदोलन में शामिल होने मात्र को आधार बनाकर निर्दोषों को जेल में लगभग आठ माह से रखना और भाजपा के जिलाध्यक्ष के अलावा और भाजपाईयों को राहत पहुंचना यह राजनीतिक विरोधियों को ठिकाने लगाने वाली राजनीति है जो स्वच्छ राजनीति के लिए चिंताजनक है। सरकार की नजर में पूर्व मंत्री कवासी लखमा के साथ प्रदेश की ढाई करोड़ जनता एक जैसी होनी चाहिए सबके प्रति समता का भाव होना चाहिए। क्या आप‌ लोग भेदभाव एवं पक्षपात पूर्ण राजनीति कर भारत को कभी विकसित राष्ट्र बना पाओगे ? या फिर यह वह सपना है जो रेत से भवन और ताश के पत्ते से महल बनने वाली है।”

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By जन स्वराज न्यूज़ 24

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